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लेखनी प्रतियोगिता -16-Jun-2022

महक उठते हैं मेरे लफ्ज़ हर पल तुम्हें सोचकर…

दिल के एहसासों में डूबी हुई कोई नज्‍म हो तुम…


तुमसे मिलने से पहले एक कोरा कागज़ था मैं…

मुझमें एहसास भरने वाली जैसे कलम हो तुम…


ज़ख्मों से नाता रहा है हमेशा मेरे इस जिस्म का…

तो इन ज़ख्मों को ठीक करती एक मरहम हो तुम…

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13 Comments

Pallavi

18-Jun-2022 09:57 PM

Beautiful beautiful

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Punam verma

17-Jun-2022 06:46 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

17-Jun-2022 03:46 PM

बेहतरीन रचना

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